चक्रीय अर्थव्यवस्था एवं रेखीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर एंड लिनियर इकोनामी)

 

दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में Take, Make, Use  और Dispose की पद्धति का प्रचलन रहा है।  इस पद्धति से तात्पर्य एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें सर्वप्रथम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाता है,  उसके पश्चात संसाधनों का रूप एवं गुण परिवर्तन करके बाजार की मांग के अनुरूप वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। तत्पश्चात उत्पादित वस्तुओं को उपयोग हेतु उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है, उपभोक्ता वस्तुओं का उपयोग करने के पश्चात उन्हें या तो फेंक देता है या नष्ट कर देता है।  यह एक रेखीय अर्थव्यवस्था (लीनियर इकॉनमी) का उदाहरण है।  इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में वस्तुओं के उपभोग के पश्चात उनके पुनर्चक्रण की कोई व्यवस्था नहीं होती। इस व्यवस्था का सकारात्मक पक्ष यह है कि इसके अंतर्गत उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता उच्च होती है, साथ ही उत्पादन प्रारंभ करने हेतु सीमित निवेश की आवश्यकता होती है।
यदि इस व्यवस्था का नकारात्मक पक्ष देखा जाए तो सर्वप्रथम प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन की बात आती  हैं, क्योंकि उपभोग  की गई वस्तुओं के पुनर्चक्रण की कोई व्यवस्था न होने के कारण, प्रत्येक इकाई उत्पादन के लिए नए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की आवश्यकता पड़ती है।  जिससे प्रकृति पर बोझ निरंतर बढ़ता जाता है।
दूसरा नकारात्मक पक्ष यह है कि उपभोग की गई वस्तुएं  कचरे के रूप में एकत्र होने लगती  हैं उनके पुनर्चक्रण की व्यवस्था ना होने के कारण कचरा निस्तारण की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो अनेक अन्य समस्याओं को जन्म देती है।
रेखीय अर्थव्यवस्था के उक्त नकारात्मक पक्षों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए उपभोग की गई  वस्तुओं को पुनः प्रयोग के योग्य बनाया जाता है।  इससे कचरे की समस्या से निजात पाने में तो  सहायता मिलती ही  है, साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ भी घटता जाता है, परंतु इस प्रकार की व्यवस्था में उपयोग की गई वस्तुओं के पुनर्चक्रण के लिए अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होती है।
उक्त दोनों प्रकार की व्यवस्था व्यवस्थाओं का अध्ययन करने पर निष्कर्ष था यह कहा जाता है कहा जा सकता है कि दूसरे प्रकार की व्यवस्था जिसे चक्रीय व्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) कह सकते हैं वर्तमान समय की आवश्यकता है।  चक्रीय अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से कुछ व्यय  साध्य होने के बावजूद इससे प्राप्त होने वाले दूरगामी लाभों को देखते हुए इसे अधिक समयानुकूल एवं  व्यावहारिक माना जा सकता है।

Comments

  1. सटीक एवम महत्वपूर्ण जानकारी👌👌

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