आधुनिक भारतवर्ष में स्थानीय स्वशासन का विकास एक स्वरुप ये भी भारत में स्थानीय स्वशासन का विकास वैसे तो स्थानीय स्वशासन मौर्य काल से ही अस्तित्व में है, परंतु वर्तमान स्वरूप में स्थानीय स्वशासन ब्रिटिश कंपनी के रेजिडेंशियल नगरों में दिखाई देता है। 1687 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने सर्वप्रथम मद्रास प्रेसिडेंसी में नगर निगम स्थापित करने की अनुमति दी। 1726 में महापौर के न्यायालय की स्थापना मद्रास में की गई। 1793 का चार्टर एक्ट से नागरिक संस्थाओं को वैधानिक अधिकार मिल गया। 1840 से 1853 के मध्य करदाताओं को निगमों के सदस्यों को चुनने का अधिकार भी मिल गया। 1893 मुंबई की पूरी शक्ति एक मनोनीत आयुक्त के हाथ में दे दी गई। 1842 के अधिनियम से प्रेसीडेन्सी नगरों के बाहर भी इन संस्थाओं का आरंभ हुआ। इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंधन करना था। 1869 के अधिनियम द्वारा प्रत्येक जिले में एक स्थानीय समिति की स्थापना की गई, यह समितियां कुछ कर लगाती थी और स्वास्थ्य शिक्षा एवं अन्य स्थानीय अवस्थाओं की देखर...
जैव विविधता (वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक परिचय) जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) मूलतः जीवीय विविधता (बायोलॉजिकल डायवर्सिटी) शब्द से संबंधित है। जीवीय विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग प्रसिद्ध पर्यावरणविद् ' लज्जाय ' द्वारा किया गया था । इनके अतिरिक्त पर्यावरणविद् ' दासमैन ' के द्वारा भी इस शब्द के प्रयोग मिलते हैं । जहां तक जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) शब्द के उल्लेख का प्रश्न है तो ' रोन्जन ' नाम के पर्यावरणविद् के द्वारा सर्वप्रथम इस शब्द का प्रयोग किया गया। कहीं-कहीं इस संबंध में प्रोफेसर ' विलसन ' के नाम का भी उल्लेख मिलता है । वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह शब्द चर्चा में तब आया जब 1987 नॉर्वे में हुए एक सम्मेलन में नॉर्वे के प्रधानमंत्री के द्वारा सतत या धारणीय विकास के विचार के साथ अपनी "ब्रंटलैंड" रिपोर्ट" प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट के द्वारा सर्वप्रथम विश्व के समक्ष धारणीय विकास की विचारधारा को प्रस्तुत किया गया। धारणीय विकास की विचारधारा की मूल भावना यह थी कि "हम अपनी पीढ़ी के विकास ...
देवनागरी गुप्तकालीन कला और स्थापत्य दशावतार विष्णु मन्दिर , देवगढ़ गुप्त काल में कला की विविध विधाओं जैसे वास्तु, स्थापत्य, चित्रकला , मृदभांड, कला आदि में अभूतपूर्ण प्रगति देखने को मिलती है। गुप्तकालीन स्थापत्य कला के सर्वोच्च उदाहरण तत्कालीन मंदिर थे। मंदिर निर्माण कला का जन्म यहीं से हुआ। इस समय के मंदिर एक ऊँचे चबूतरें पर निर्मित किए जाते थे। चबूतरे पर चढ़ने के लिए चारों ओर से सीढ़ियों का निर्माण किया जाता था। देवता की मूर्ति को गर्भगृह (Sanctuary) में स्थापित किया गया था और गर्भगृह के चारों ओर ऊपर से आच्छादित प्रदक्षिणा मार्ग का निर्माण किया जाता था। गुप्तकालीन मंदिरों पर पार्श्वों पर गंगा, यमुना, शंख व पद्म की आकृतियां बनी होती थी। गुप्तकालीन मंदिरों की छतें प्रायः सपाट बनाई जाती थी पर शिखर युक्त मंदिरों के निर्माण के भी अवशेष मिले हैं। गुप्तकालीन मंदिर छोटी-छोटी ईटों एवं पत्थरों से बनाये जाते थे। ‘भीतरगांव का मंदिर‘ ईटों से ही निर्मित है। गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण मंदिर मंदिर. ...
Accha hai sir.... Lekin kuch prashn bhi chooth jaate hain iske peeche......
ReplyDeleteअकबर महान सिर्फ एकता कपूर के serial मे था😃
ReplyDeleteThnQ Sir for this blog
Sahi bole ho....,
DeleteBahut acchi post hai sir..
ReplyDeleteAkbar to sch me bahut hi mahan tha..😁😄